अनमोल वचन
हमें संसार से अपनी श्रेष्ठता स्वीकार करवाने की लालसा नहीं होनी चाहिए, आज के वर्तमान युग में आवश्यकता है तो स्वयं को *कल जो हम थे* या *आज जो हम हैं* उससे बेहतर बनाने का भागीरथी प्रयत्न करते रहने की, समाज हमारी श्रेष्ठता तभी स्वीकार करेगा जब वो हमें दिन व दिन अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ता देखेगा और हमारी खूबियों से लाभान्वित होगा
तब हमें कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं होगी, हमारे कर्म ही हमारी श्रेष्ठता का बयान होंगे वैसे भी कर्मों से बोला हुआ चरित्र ही देर तक याद रखा जाता है
आज पीताम्बरा माई से इस नाश्वर संसार का सबसे कठिन (मेरे लिये तो है कठिन) कार्य:- मान- अपमान, अपेक्षा- उपेक्षा के भाव से परे रहते हुए, उत्तरदायित्वों के सफल निर्वाहन की अलौकिक प्रार्थना के साथ ( आशीष पंडित।)