ल्ली।भारत जहां 1.3 अरब लोगों की विशाल आबादी रहती है। इस तकनीकी प्रगति के युग में देश की जनसंख्या का एक बड़ा समूह उच्च शिक्षा, रोजगार की तलाश और शादी के बाद बेहतर भविष्य के लिए अपने शहरों को छोड़कर चले जाते हैं। भौगोलिक बाधाओं की वजह से दूसरे शहरों में विस्थापित हो चुके इन लोगों को संविधान द्वारा मिले अपने अधिकारों से भी समझौता करना पड़ता है, जिसमें एक प्रमुख अधिकार है मतदान का। दरअसल, जिस तरह से देश के अंदर किसी भी जगह पर जाकर रहना लोगों का मौलिक अधिकार है, ठीक वैसे ही वोट करना भी उनका दायित्व है, लेकिन अबतक दोनों में से किसी एक के साथ समझौता किया जा रहा था। इसको ध्यान में रखते हुए The Times of India ने अपना सबसे बड़ा सामूहिक अभियान LOST VOTES लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य उन लोगों को मतदान का अधिकार दिलाना है, जो अपने उस पते से दूर चले गए हैं जहां उनका वोट रजिस्टर्ड है।
इसको लेकर राष्ट्रीय स्तर तक लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए TOI पब्लिकेशन ने माइग्रेट हुए लाखों वोटर्स और संबंधित नागरिकों के बीच जाकर वोट डालने के महत्व और इसकी तात्कालिकता के बारे में जागरूकता पैदा की। इस अभियान के दौरान जो जानकारी प्राप्त हुई, वो चौंकाने वाली थी। इसके मुताबिक 290 मिलियन (29 करोड़) पात्र मतदाता अपने स्थायी पते से दूर होने की वजह से वोट देने में असमर्थ थे। TOI अपने LOST VOTES कैम्पेन के जरिए उन करोड़ो लोगों की आवाज बना और चुनाव आयोग से तत्काल इसका प्रभावी और स्थायी समाधान खोजने का आग्रह किया। लगभग एक साल तक चले इस कैम्पेन के बाद, चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की कि वे एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं, जो उन लोगों को वोटिंग का अधिकार देगा, जो अपने स्थायी पते पर नहीं रहते हैं।
अभियान LOST VOTES लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य उन लोगों को मतदान का अधिकार दिलाना